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ये समुद्र निगल गया सूरज जमीन में गाड़ गया फरमान ए

ये समुद्र निगल गया
सूरज जमीन में गाड़ गया

फरमान ए पैग़ाम हाथों से फिसल गया
छू रही थी लहरें पहरम ए यादों में निकल गया

आस की वो प्यास बुझती सुंदर दृश्य में निकल गया
अंकों में हाका हल्का सा धक्का देकर वक्त फिसल गया

संभली बदली बंदरगाह में बंधकर अटक गया
दूर नारंगी सी चादर ओढ़ कर मेरी रूह से एक वादा पिघल गया

उफ ये नील से नारंगी रंग हर्षिता की ओक में भरकर फिसल गया
कायल था या घायल पिघलता सूरज जमीन को निगल गया।
©️ जज़्बात ए हर्षिता Good Morning Inscriptors 🙏🏻

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for collab by Sublime Inscriptions 🤗

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beautiful picture with your sublime inscriptions 🖋️
ये समुद्र निगल गया
सूरज जमीन में गाड़ गया

फरमान ए पैग़ाम हाथों से फिसल गया
छू रही थी लहरें पहरम ए यादों में निकल गया

आस की वो प्यास बुझती सुंदर दृश्य में निकल गया
अंकों में हाका हल्का सा धक्का देकर वक्त फिसल गया

संभली बदली बंदरगाह में बंधकर अटक गया
दूर नारंगी सी चादर ओढ़ कर मेरी रूह से एक वादा पिघल गया

उफ ये नील से नारंगी रंग हर्षिता की ओक में भरकर फिसल गया
कायल था या घायल पिघलता सूरज जमीन को निगल गया।
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