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" बटुआ खाली है " एक रोज उनकी दरवाज़े पर, सप्तरंगी

" बटुआ खाली है "

एक रोज उनकी दरवाज़े पर,
सप्तरंगी लाइट लगी थी,
दरवाज़े पर कुछ रस्म के बाद,
एक लड़का अंदर गया।
बिना किसी रस्म के ,
कोई बाहर आया उनकी - जेहन से।
उनकी भाभियों की मज़ाक,
जो अक्सर वो सुनाया करती थी,
अब भी जारी था-
सुन कोई और रहा था।
तभी "स्वीकरोमि सुखेन त्वां, गृहलक्ष्मीमहन्ततः" के श्लोक और चटख लाल सिंदूर।
बात -बात पर रोने वाली अब सयानी हो गयी।
सुबह फिर कार आई,
इसबार एक रिश्तेदार अंदर गया,
एक रात की रिवाज़ और -
सहचरो भविष्यामि, पूणर्स्नेहः प्रदास्यते। सत्यता मम निष्ठा च, यस्याधारं भविष्यति।।
का विश्वास !
उस शाम उनकी दरवाज़े पर,
दो लोग गए थे।
एक , एक होकर लौटा,
दूसरा , अनेक होकर।

#ऋषिकेश

©Rishikesh #alone
" बटुआ खाली है "

एक रोज उनकी दरवाज़े पर,
सप्तरंगी लाइट लगी थी,
दरवाज़े पर कुछ रस्म के बाद,
एक लड़का अंदर गया।
बिना किसी रस्म के ,
कोई बाहर आया उनकी - जेहन से।
उनकी भाभियों की मज़ाक,
जो अक्सर वो सुनाया करती थी,
अब भी जारी था-
सुन कोई और रहा था।
तभी "स्वीकरोमि सुखेन त्वां, गृहलक्ष्मीमहन्ततः" के श्लोक और चटख लाल सिंदूर।
बात -बात पर रोने वाली अब सयानी हो गयी।
सुबह फिर कार आई,
इसबार एक रिश्तेदार अंदर गया,
एक रात की रिवाज़ और -
सहचरो भविष्यामि, पूणर्स्नेहः प्रदास्यते। सत्यता मम निष्ठा च, यस्याधारं भविष्यति।।
का विश्वास !
उस शाम उनकी दरवाज़े पर,
दो लोग गए थे।
एक , एक होकर लौटा,
दूसरा , अनेक होकर।

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