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शबाब और शराब की प्यास बढ़ती ही जाती है, गर न मिले

शबाब और शराब की प्यास बढ़ती ही जाती है,
गर न मिले समय से तो तलब बढ़ती ही जाती है। 

सुकुं की तलाश में जाने कितनों ने छोड़ा घर - बार,
गर न हो इन्द्रिय वश में तो बेचैनी बढ़ती ही जाती है।।

      ✍️✍️✍️  #आलोक_अग्रहरि

©आलोक अग्रहरि #हकीकत
शबाब और शराब की प्यास बढ़ती ही जाती है,
गर न मिले समय से तो तलब बढ़ती ही जाती है। 

सुकुं की तलाश में जाने कितनों ने छोड़ा घर - बार,
गर न हो इन्द्रिय वश में तो बेचैनी बढ़ती ही जाती है।।

      ✍️✍️✍️  #आलोक_अग्रहरि

©आलोक अग्रहरि #हकीकत