: इसे फंसाती उसे रिझाती झीने झीने जाल बिछाती ! मीठे बोलों से भरमाकर अंधियारेपन में धकियाती ! जिसको चाहे उसे उठाती मन माफ़िक सपने दिखवाये ! दिन भर फ़ोन धरे कानों पे ये जाने क्या क्या बतियाये ! ऐसी चहके चिड़िया जैसी गूँजें दूर देश तक जायें ! बात बात पर प्यार जताए जरा देर में खुद चिढ़ जाए ! अपनी उनकी उनकी अपनी जाने कितनी कथा सुनाए ! : उतने बोल सुनाती केवल जितना दिन भर में जी पाए ! बातें करती घर आँगन की करती अपने पिछवारे की ! क्या खाया क्या पहना तुमने होती बात थके हारे की !