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*सकरात्मक आइसोलेशन*  35 वर्षीय एक शख्स प्राइवेट कं

*सकरात्मक आइसोलेशन*
 35 वर्षीय एक शख्स प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हैं। एक दिन उसे 102 डिग्री फॉरेनहाइट तक बुखार हुआ और हल्की खांसी थी। डॉक्टर के कहने पर जांच करवाई तो पता चला कि वह करोना पॉजिटिव है। रिपोर्ट देखकर वो शख्स काफी परेशान हो गया था। 

अपनी ही बिल्डिंग में करोना मिलने की खबर से बिल्डिंग में रहने वाले सारे लोग सकते में आ गए। महानगरपालिका,  पुलिस आदि को सूचना दे दी गई।  कुछ देर बाद एंबुलेंस आकर उस शख्स को अस्पताल ले गई।  सभी ने उनके शीघ्र स्वस्थ होकर लौटने की प्रार्थनाएं की। 

15 दिन की जद्दोजहद के बाद वो शख्स अपनी कोरोना नेगटिव की रिपोर्ट हाथ में लेकर अस्पताल के रिसेप्शन पर खड़ा था।

आसपास कुछ लोग तालियां बजा रहे  थे, उसका अभिनंदन कर रहे थे। जंग जो जीत कर आया था वो लेकिन उस शख्स के चेहरे पर बेचैनी की गहरी छाया थी।

गाड़ी से घर के रास्ते भर उसे याद आता रहा "आइसोलेशन" नामक खतरनाक और असहनीय दौर का वो मंजर।

न्यूनतम सुविधाओं वाला छोटा सा कमरा, अपर्याप्त उजाला, मनोरंजन के किसी साधन की अनुपलब्धता, कोई बात नही करता था और न ही कोई नजदीक आता था। खाना भी बस प्लेट में भरकर सरका दिया जाता था। कैसे गुजारे उसने वे 15 दिन, वही जानता था।

घर पहुचते ही स्वागत में खड़े उत्साही पत्नी और बच्चों को छोड़ कर वह शख्स सीधे घर के एक उपेक्षित कोने के कमरे में गया, जहाँ माँ पिछले पाँच वर्षों से पड़ी थी ।

माँ के पावों में गिरकर वह खूब रोया और उन्हें लेकर बाहर आया।



पिता की मृत्यु के बाद पिछले 5 वर्षों से एकांतवास  (आइसोलेशन ) भोग रही माँ से कहा कि _"माँ आज से आप हम सब एक साथ एक जगह पर ही रहेंगे।"_

माँ को भी बड़ा आश्चर्य लगा कि आख़िर बेटे ने उसकी पत्नी के सामने ऐसा कहने की हिम्मत कैसे कर ली ?

 इतना बड़ा हृदय परिवर्तन एकाएक कैसे हो गया ?  बेटे ने फिर अपने एकांतवास की सारी परिस्थितियाँ माँ को बताई और बोला अब मुझे अहसास हुआ कि एकांतवास कितना दुखदायी होता है ? 

*बेटे की नेगटिव रिपोर्ट उसकी जिंदगी की पॉजिटिव रिपोर्ट बन गयी।*

©OMG INDIA WORLD *सकरात्मक आइसोलेशन*
 35 वर्षीय एक शख्स प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हैं। एक दिन उसे 102 डिग्री फॉरेनहाइट तक बुखार हुआ और हल्की खांसी थी। डॉक्टर के कहने पर जांच करवाई तो पता चला कि वह करोना पॉजिटिव है। रिपोर्ट देखकर वो शख्स काफी परेशान हो गया था। 

अपनी ही बिल्डिंग में करोना मिलने की खबर से बिल्डिंग में रहने वाले सारे लोग सकते में आ गए। महानगरपालिका,  पुलिस आदि को सूचना दे दी गई।  कुछ देर बाद एंबुलेंस आकर उस शख्स को अस्पताल ले गई।  सभी ने उनके शीघ्र स्वस्थ होकर लौटने की प्रार्थनाएं की। 

15 दिन की जद्दोजहद के बाद वो शख्स अपनी कोरोना नेगटिव की रिपोर्ट हाथ में लेकर अस्पताल के रिसेप्शन पर खड़ा था।

आसपास कुछ लोग तालियां बजा रहे  थे, उसका अभिनंदन कर रहे थे। जंग जो जीत कर आया था वो लेकिन उस शख्स के चेहरे पर बेचैनी की गहरी छाया थी।
*सकरात्मक आइसोलेशन*
 35 वर्षीय एक शख्स प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हैं। एक दिन उसे 102 डिग्री फॉरेनहाइट तक बुखार हुआ और हल्की खांसी थी। डॉक्टर के कहने पर जांच करवाई तो पता चला कि वह करोना पॉजिटिव है। रिपोर्ट देखकर वो शख्स काफी परेशान हो गया था। 

अपनी ही बिल्डिंग में करोना मिलने की खबर से बिल्डिंग में रहने वाले सारे लोग सकते में आ गए। महानगरपालिका,  पुलिस आदि को सूचना दे दी गई।  कुछ देर बाद एंबुलेंस आकर उस शख्स को अस्पताल ले गई।  सभी ने उनके शीघ्र स्वस्थ होकर लौटने की प्रार्थनाएं की। 

15 दिन की जद्दोजहद के बाद वो शख्स अपनी कोरोना नेगटिव की रिपोर्ट हाथ में लेकर अस्पताल के रिसेप्शन पर खड़ा था।

आसपास कुछ लोग तालियां बजा रहे  थे, उसका अभिनंदन कर रहे थे। जंग जो जीत कर आया था वो लेकिन उस शख्स के चेहरे पर बेचैनी की गहरी छाया थी।

गाड़ी से घर के रास्ते भर उसे याद आता रहा "आइसोलेशन" नामक खतरनाक और असहनीय दौर का वो मंजर।

न्यूनतम सुविधाओं वाला छोटा सा कमरा, अपर्याप्त उजाला, मनोरंजन के किसी साधन की अनुपलब्धता, कोई बात नही करता था और न ही कोई नजदीक आता था। खाना भी बस प्लेट में भरकर सरका दिया जाता था। कैसे गुजारे उसने वे 15 दिन, वही जानता था।

घर पहुचते ही स्वागत में खड़े उत्साही पत्नी और बच्चों को छोड़ कर वह शख्स सीधे घर के एक उपेक्षित कोने के कमरे में गया, जहाँ माँ पिछले पाँच वर्षों से पड़ी थी ।

माँ के पावों में गिरकर वह खूब रोया और उन्हें लेकर बाहर आया।



पिता की मृत्यु के बाद पिछले 5 वर्षों से एकांतवास  (आइसोलेशन ) भोग रही माँ से कहा कि _"माँ आज से आप हम सब एक साथ एक जगह पर ही रहेंगे।"_

माँ को भी बड़ा आश्चर्य लगा कि आख़िर बेटे ने उसकी पत्नी के सामने ऐसा कहने की हिम्मत कैसे कर ली ?

 इतना बड़ा हृदय परिवर्तन एकाएक कैसे हो गया ?  बेटे ने फिर अपने एकांतवास की सारी परिस्थितियाँ माँ को बताई और बोला अब मुझे अहसास हुआ कि एकांतवास कितना दुखदायी होता है ? 

*बेटे की नेगटिव रिपोर्ट उसकी जिंदगी की पॉजिटिव रिपोर्ट बन गयी।*

©OMG INDIA WORLD *सकरात्मक आइसोलेशन*
 35 वर्षीय एक शख्स प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हैं। एक दिन उसे 102 डिग्री फॉरेनहाइट तक बुखार हुआ और हल्की खांसी थी। डॉक्टर के कहने पर जांच करवाई तो पता चला कि वह करोना पॉजिटिव है। रिपोर्ट देखकर वो शख्स काफी परेशान हो गया था। 

अपनी ही बिल्डिंग में करोना मिलने की खबर से बिल्डिंग में रहने वाले सारे लोग सकते में आ गए। महानगरपालिका,  पुलिस आदि को सूचना दे दी गई।  कुछ देर बाद एंबुलेंस आकर उस शख्स को अस्पताल ले गई।  सभी ने उनके शीघ्र स्वस्थ होकर लौटने की प्रार्थनाएं की। 

15 दिन की जद्दोजहद के बाद वो शख्स अपनी कोरोना नेगटिव की रिपोर्ट हाथ में लेकर अस्पताल के रिसेप्शन पर खड़ा था।

आसपास कुछ लोग तालियां बजा रहे  थे, उसका अभिनंदन कर रहे थे। जंग जो जीत कर आया था वो लेकिन उस शख्स के चेहरे पर बेचैनी की गहरी छाया थी।