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आओ ख़ुद ही ख़ुद को दफ़नाते हैं, आओ मिल के धरती जला

आओ ख़ुद ही ख़ुद को दफ़नाते हैं,
आओ मिल के धरती जलाते हैं,
चलो फ़िर से एक फैक्ट्री लगाते हैं,
जहरीला धुआं हवा में घोल जाते हैं,
फैक्ट्री का ज़हरीला पानी,
किसी स्वच्छ नदी में बहाते हैं,
प्लास्टिक, मेटल्स, कांच और टाइल्स से,
धरती की कोख बंजर कर आते हैं,
ऑक्सीजन का क्या करना हमें,
चलो मिल के जंगल जलाते हैं,
खाद्य श्रृंखला से क्या लेना देना हमें,
जीव जंतुओं को मार आते हैं,
स्वार्थी लालची मानव हैं हम,
इस बात को सिद्ध कर जाते हैं,
बहुत जी लिए हम इस धारा धरती पे,
आओ संपूर्ण विश्व को मिल के दफ़नाते हैं,
आधुनिकता और विकास के नाम पर चलो,
आने वाले कल की क़ब्र बनाते हैं,
कड़वी है बात मेरी अभिषेक,
फ़िर भी लोग ताली बजाते हैं,
जब सत्य पता चल ही चुका है तो फ़िर,
खुल के पानी बहाते हैं,
हमें आने वाले कल से क्या लेना,
आज खुशियों कि होली दीवाली मानते हैं,
कभी अरण्य, कभी वन उपवन,
आओ मिल के तहस नहस कर जाते हैं
Abhishekism 💕 @Nojotoapp #rdv19 @abhishekism #abhimantra #poem #poet #quote #poeticatma @poeticatma @nojoto #RDV19
आओ ख़ुद ही ख़ुद को दफ़नाते हैं,
आओ मिल के धरती जलाते हैं,
चलो फ़िर से एक फैक्ट्री लगाते हैं,
जहरीला धुआं हवा में घोल जाते हैं,
फैक्ट्री का ज़हरीला पानी,
किसी स्वच्छ नदी में बहाते हैं,
प्लास्टिक, मेटल्स, कांच और टाइल्स से,
धरती की कोख बंजर कर आते हैं,
ऑक्सीजन का क्या करना हमें,
चलो मिल के जंगल जलाते हैं,
खाद्य श्रृंखला से क्या लेना देना हमें,
जीव जंतुओं को मार आते हैं,
स्वार्थी लालची मानव हैं हम,
इस बात को सिद्ध कर जाते हैं,
बहुत जी लिए हम इस धारा धरती पे,
आओ संपूर्ण विश्व को मिल के दफ़नाते हैं,
आधुनिकता और विकास के नाम पर चलो,
आने वाले कल की क़ब्र बनाते हैं,
कड़वी है बात मेरी अभिषेक,
फ़िर भी लोग ताली बजाते हैं,
जब सत्य पता चल ही चुका है तो फ़िर,
खुल के पानी बहाते हैं,
हमें आने वाले कल से क्या लेना,
आज खुशियों कि होली दीवाली मानते हैं,
कभी अरण्य, कभी वन उपवन,
आओ मिल के तहस नहस कर जाते हैं
Abhishekism 💕 @Nojotoapp #rdv19 @abhishekism #abhimantra #poem #poet #quote #poeticatma @poeticatma @nojoto #RDV19