आज फिर से भीग गयी मेरी तकिया, तुम्हारी याद में ख़ैर छोड़ो कौन सी नई बात है । तड़प उठा फिर से दिल निकल आए फिर ये आंसू थम गयी साँसे फिर, तुम्हारी याद में ख़ैर छोड़ो कौन सी नई बात है । देखने लगा तेरी तस्वीरों को तेरी मुस्कान फिर निहारने लगा तेरे हाथों के कंगन की क़िस्मत को देख कोसने लगा मैं अपनी क़िस्मत को, तुम्हारी याद में ख़ैर छोड़ो कौन सी नई बात है । इन आँसुओं की फिर वही शिकायत है और वही शिकवे हैं इन रातों के इन आहों की तकलीफ़ें भी वही हैं जो दस बरस पहले हुआ करती थी, तुम्हारी याद में ख़ैर छोड़ो कौन सी नई बात है । इन बाहों को इंतज़ार है तुम्हारे आने का तुम सुनो इन धड़कनो की धुन को ये तुम्हारा राग ही गाया करती हैं और हर वक्त तुमको पुकारा करती हैं, तुम्हारी याद में ख़ैर छोड़ो कौन सी नई बात है । एक फिर दिन बीत गया गुजर गया एक और साल नहीं बदला तो सिर्फ़ ये मेरा हाल जो कल भी तनहा था और आज भी, तुम्हारी याद में ख़ैर छोड़ो कौन सी नई बात है । सड़क चलते अभी भी निहारता हूँ मैं तुझे ढूँढता हूँ आज भी, आज भी मैं सिर्फ़ तुझे ही चाहता हूँ हाँ रोता हूँ मैं आज भी, तुम्हारी याद में ख़ैर छोड़ो कौन सी नई बात है । #kavyapankh3 #kavyapankh