जो पर्दा - दारी चली तो यारी नहीं चलेगी । हमारी दुनिया में दुनिया - दारी नहीं चलेगी । तुम्हारे जाने पे दिल का दफ़्तर समेट लेंगे । फ़िर इस सड़क पर कोई सवारी नहीं चलेगी । परिंदे भी बे - घरी से पहले ये सोचते थे,, कि सब्ज़ पेड़ों पे कोई आरी नहीं चलेगी । हम अपनी मर्ज़ी से उसके दिल में रहा करेंगे,, हमारे घर में भी क्या हमारी नहीं चलेगी ? हुनर की मिट्टी पे दुख का पानी छिड़कते रहिए । मुशायरों से ग़ज़ल की क्यारी नहीं चलेगी । हुज़ूर - ए - वाला ये "आशू मिश्रा " का दिल है इस पर, हसीन चेहरों की होशियारी नहीं चलेगी । # aashu mishra # ©Azeem Khan #ज़िंदाबाद आशू मिश्रा भाई# क्या खूब ग़ज़ल कितने प्यारे प्यारे शे,र #