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अनाथ पिता (रचना नीचे पढ़ें) बहुत दिनों बाद एक

अनाथ पिता


(रचना नीचे पढ़ें)

 बहुत दिनों बाद एक ऐसे विषय पर लिख रहा हूं जो दिल के बेहद करीब है।।

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शीर्षक - 'अनाथ पिता'

उसकी आँखों में आँसू आ गये। आज शायद बरसों बाद किसी की बातों से वो आहत हुआ होगा। अब कैसे समझाये वो उस नादान को, कि वो जो कह रहा है, उसे तो पता भी नहीं कि ज़िंदगी की हक़ीक़त आखिर होती क्या है। बाइस वर्ष का हो गया था मगर अब भी बच्चा ही था। कुछ चीजें शायद कभी हम किसी को समझा नहीं सकते।
अनाथ पिता


(रचना नीचे पढ़ें)

 बहुत दिनों बाद एक ऐसे विषय पर लिख रहा हूं जो दिल के बेहद करीब है।।

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शीर्षक - 'अनाथ पिता'

उसकी आँखों में आँसू आ गये। आज शायद बरसों बाद किसी की बातों से वो आहत हुआ होगा। अब कैसे समझाये वो उस नादान को, कि वो जो कह रहा है, उसे तो पता भी नहीं कि ज़िंदगी की हक़ीक़त आखिर होती क्या है। बाइस वर्ष का हो गया था मगर अब भी बच्चा ही था। कुछ चीजें शायद कभी हम किसी को समझा नहीं सकते।