#OpenPoetry प्रेम पाना तुम्हारा ! मैंने कभी नहीं चाहा पाना प्रेम तुम्हारे सिवा किसी और का ; मैंने तो चाहा भी और माँगा भी प्रेम एक सिर्फ तुम्हारा ही ; तुम मुझे प्रेम करो और करे उतना ही प्रेम मुझे तुम्हारी संतति भी ; मैं चाहता हूँ प्रेम देना भी सिर्फ एक तुम्हे और तुम्हारी संतति को ही ; तुमको प्रेम करने और तुम्हारा प्रेम पाने के लिए लड़ रहा हूँ ; मैं आज भी इस ज़माने से और लड़ता रहूँगा कल भी क्योकि मैंने कभी नहीं चाहा प्रेम पाना किसी और का ! #प्रेम #पाना #तुम्हारा