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#OpenPoetry प्रेम पाना तुम्हारा ! मैंने कभी नहीं

#OpenPoetry प्रेम पाना तुम्हारा !

मैंने कभी नहीं चाहा
पाना प्रेम तुम्हारे सिवा  
किसी और का ;
मैंने तो चाहा भी और 
माँगा भी प्रेम एक सिर्फ  
तुम्हारा ही ; 
तुम मुझे प्रेम करो
और करे उतना ही 
प्रेम मुझे तुम्हारी 
संतति भी ;
मैं चाहता हूँ प्रेम देना 
भी सिर्फ एक तुम्हे और
तुम्हारी संतति को ही ;
तुमको प्रेम करने और
तुम्हारा प्रेम पाने के 
लिए लड़ रहा हूँ ; 
मैं आज भी इस ज़माने 
से और लड़ता रहूँगा 
कल भी क्योकि मैंने
कभी नहीं चाहा प्रेम 
पाना किसी और का ! #प्रेम #पाना #तुम्हारा
#OpenPoetry प्रेम पाना तुम्हारा !

मैंने कभी नहीं चाहा
पाना प्रेम तुम्हारे सिवा  
किसी और का ;
मैंने तो चाहा भी और 
माँगा भी प्रेम एक सिर्फ  
तुम्हारा ही ; 
तुम मुझे प्रेम करो
और करे उतना ही 
प्रेम मुझे तुम्हारी 
संतति भी ;
मैं चाहता हूँ प्रेम देना 
भी सिर्फ एक तुम्हे और
तुम्हारी संतति को ही ;
तुमको प्रेम करने और
तुम्हारा प्रेम पाने के 
लिए लड़ रहा हूँ ; 
मैं आज भी इस ज़माने 
से और लड़ता रहूँगा 
कल भी क्योकि मैंने
कभी नहीं चाहा प्रेम 
पाना किसी और का ! #प्रेम #पाना #तुम्हारा