आज भी फसें है हम। दिल और दिमाग कि आवाजों में फसें थे हम। सपनों को छोड़कर हकीकत मैं जीना सीख चुके हैं हम। झुठीं बुनियादी पर बनें रिस्तों की आवजों को कब का पिछे छोड़ चुके है हम। झुठीं शानौशकत ने दबा दी थी सच्चाई की आवाज फिर भी हारे नहीं है हम। अब चाहे कीतनी भी मुसीबतों का सामना करना पड़े पिचें नहीं हटेंगे हम। सच्चाई की आवाज को पहचाना हैं हमनें, मुस्कुराकर आगे बढ़ते रहेंगे हम। आवाज़ों के जंगल में वो तेरी आवाज़ का फूल। #आवाज़ #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi