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उसका संसार में पुनः आगमन नहीं होता वह भगवत स्वरूप

उसका संसार में पुनः आगमन नहीं होता वह भगवत स्वरूप बन जाता है यह नितांत सत्य है कि हम जिस दरवाजे को खटखटाने हमारे लिए वे दरवाजे खुलेंगे आधुनिक जीवन शैली में उपासना के अनेक उपक्रम हो रहे हैं उपासना के अंतर्गत व्यक्ति किसी असीम सत्ता के प्रति समर्पित होता है अपनी संपूर्ण आस्था उसी में केंद्रित कर देता है वह विराट अस्तित्व है उसका आराध्य बन जाता है यही से धर्म अपनी विकास यात्रा प्रारंभ करता है उपासना से अध्यात्मिक का सर्वाधिक होता है इससे आध्यात्मिक व्यक्ति की आस्थाओं और अभिरुचि में परिष्कार होता है अंतर में शांति संतोष और संपदा का उदय होता है बाहर आदर और सम्मान की पात्रता अर्जित होती है

©Ek villain
  #ddlj जो मुझको पूछता है मैं उसको प्राप्त होता हूं
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Ek villain

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