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ए दिलकश ज़िन्दगी के चंद खूबसूरत सुर्ख़ सुनहरे लम्ह

ए दिलकश ज़िन्दगी के चंद खूबसूरत सुर्ख़ सुनहरे लम्हों, 
इनकी क्या बात है,
सोचता हूँ हर पल, क्यूँ कैसे आया इनमें निखार जैसे 
कलियों में खुमार है,

देखता आ रहा इन नटखट लम्हों की शोखी को, हमसे ही सूझी 
ये शरारत क्यूँ है,
पहले लगे थे बड़े अच्छे इनको, कितने कसक नूर जज़्बात हैं तेरे,
ए ज़िन्दगी, 

पहले तो एक हुजूम से ये पल रीझ गए, कैसा नसीब अब इन्हें 
भक्ति का आया ख़्याल है,
अरविंद संग ही ऐसा होता क्यूँ है, विसाल-ए-यार क्यूँ नहीं कर पाते 
इकरार का इज़हार I

©Arvind Akv
  #विसाल-ए-यार
arvindkumarverma4870

Arvind Akv

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#विसाल-ए-यार #ज़िन्दगी

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