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करके रसूलsw. के सुन्नतों को दरकिनार खुद को आशिक ए

करके रसूलsw. के सुन्नतों को दरकिनार खुद को आशिक ए रसूल कहते हो
 छोड़कर रसूलsw. की आंखों की ठंडक नमाज़ को तुम्हें पता भी नहीं कितनी बड़ी भूल करते हो
 जिस रसूलsw. की सुन्नत हो अपनों को जोड़ने की जनाब
 क्या अपनों को खुद से अलग करके यह ऐहकाम माकूल करते हो
 खुद होकर के  एहकाम ए दीन से गाफिल मशरूफ हो बदनाम करने में अपनों को

 शायद तुम्हें पता भी नहीं तुम खुद को किस हद तक गुनाहों में मशगूल करते हो

©Aurangzeb Khan #ittehad-hi insaniyat he

#Dark
करके रसूलsw. के सुन्नतों को दरकिनार खुद को आशिक ए रसूल कहते हो
 छोड़कर रसूलsw. की आंखों की ठंडक नमाज़ को तुम्हें पता भी नहीं कितनी बड़ी भूल करते हो
 जिस रसूलsw. की सुन्नत हो अपनों को जोड़ने की जनाब
 क्या अपनों को खुद से अलग करके यह ऐहकाम माकूल करते हो
 खुद होकर के  एहकाम ए दीन से गाफिल मशरूफ हो बदनाम करने में अपनों को

 शायद तुम्हें पता भी नहीं तुम खुद को किस हद तक गुनाहों में मशगूल करते हो

©Aurangzeb Khan #ittehad-hi insaniyat he

#Dark