तेरी चाहत में हम भी क्या से क्या हो गए कि खुद अपने ही आप से अब जुदा हो गए तेरी आँखों में हैं हम या हैं मैख़ानें में जो अब रिन्दों में ही हम मुब्तिला हो गए वो थी बेपैरहन तो आँखें मूँदे रहे यूँ उसके जिस्म की हम इक क़बा हो गए हमे भी आती है कुछ तो अदाकारी अब वफ़ा करते हुए ही बेवफ़ा हो गए हमारे इश्क़ की है बस यही दास्तां खफ़ा वो हो गयी औ हम फ़ना हो गए * मुब्तिला- शामिल * बेपैरहन- बिना कपड़ो के * क़बा- पौशाक #NojotoQuote