ऐ नादान दिल, पता है ना, दूसरों से उम्मीदें ही है, सब दुखो की जड़। तो क्यों, किसी के करीब आते ही, चाहे छोटी-2 ही सही, उम्मीदें बाँध लेता है। दुखों को, खुद न्यौता दे, फिर उनके आने पर क्यो तू रोता है। क्यों हर बात को पत्थर की लकीर मान लेता है, लोग तो कहते हैं, कहने के लिए। क्यों हर बात को सच्चा मान, हर बार, अपने दिल को दुखाता है, क्यों तुझे इतना छोटा सा फंडा, समझ नही आता है........ #NadanZndagi..!!