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उठ जाग अब मेरे देश के नौजवान तेरे सोने से पूरा जग

उठ जाग अब मेरे देश के नौजवान
तेरे सोने से पूरा जग परेशान
आलस की आंधी में क्यों खो रहा है ।
नशे की नींदों में क्यों इतना सो रहा है ।
तूने ही देश को बुलंदियों पर है लाना
अपनी काबिलियत से है इतिहास रचाना ।
पर तू तो खुद ही हो कमजोर गया ।
न जाने किधर वो तेरा जोर गया ।
लगते थे जोश के जो हर बरस मेले ।
हो गए सब अपने स्वार्थ में अकेले।
नशे की सरिता में क्यों खुद को डुबो रहा है ।
अपनी अमूल्य ताकत को युहीं क्यों खो रहा है ।
अब भी वक़्त है , जाग कर कुछ कर दिखाने का
नाम भारत का आसमान में चमकाने का
देखना नहीं मुड़ कर पीछे , जब तक दिखे ना साहिल
कर जूनून से मेहनत , मिलेगी एक दिन तुझे मंजिल ।
वो कबड्डी की महक और कुश्तियों का कोना ।
क्यों नशे की जिद में तुझे , पड़ा ये सब खोना ।
ताकत और जोश का रच दे फिर से इतिहास ।
न तेरी कमजोरी का उड़ाए , दुनिया उपहास ।
बहन बेटियों की इज्जत का बन तू रखवाला ।
न इनका कर अपमान , बन तू खुद में मतवाला ।
तेरी ताकत के किस्से हो हर ओर, ऐसी ही कर आशा तू
कर कर्म फिर से जिंदादिली के , ऐसी ही कर अभिलाषा तू ।
अब न रह तू अपनी शक्तियों से अनजान
उठा शस्त्र अपने , बन जा महान
उठ जाग मेरे देश के नौजवान
तेरे सोने से पूरा जग परेशान

©पूर्वार्थ
  #युवादिवस