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कुछ रास्ते कुछ रास्ते कभी खत्म होते नहीं बस मंजिल

कुछ रास्ते

कुछ रास्ते कभी खत्म होते नहीं
बस मंजिलों से होकर गुजर जाते है
खामोशी की चादर में लिपटे हुए
तन्हाइयों का दामन थामे चले जाते है
कभी उजालों से खफा होकर दूर कहीं
उन अंधेरी बस्तियों की तरफ मुड़ जाते है
उन बस्तियों की हर एक गली से होकर
ये रास्ते अक्सर बड़ी बेरुखी से ढल जाते है
ना कोई राह और ना ही कोई रहगुजर
बस ये अपने  आप में शामिल हो जाते है
हर तरफ बेशुमार भीड़ है फिर भी....
अपनि ही लाश को अपने कांधों पे उठाकर
कुछ रास्ते तनहा और खाली रह जाते है
 बस कुछ रास्ते.... यूंही रह जाते है



rakeshkavita. blogspot.in      - राशि

©Rashi
  कुछ रास्ते

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