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अकेला तनहा बैठी हो तुम , ना जाने किसके याद में। या

अकेला तनहा बैठी हो तुम ,
ना जाने किसके याद में।
यादें सिर्फ रह जाती है पर,
एक दूजे के साथ में ।।
भीड़ में होती ऐसी हालत ,
मोह माया के जाल में ,
सोचा था मैं मिल पाऊं तुमसे,
मिलने की एक आश में।।
बैठ गई मैं घाट किनारे
वापस कब तुम आओगे।
सूरज की किरणे ढल गई,
बैठी हूं बस तुम्हारे इंतजार में।।
शाम ढली और मूड़ कर देखा ,
कुछ निशानी छोड़ गया।
गौर किया जब मैंने उसको
तुम खुश रहना अलविदा लिखकर छोड़ गया।।

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