विभाग में हमारे बचपन के वो दिन थे सुनते थे अपनो के बीच में लम्बे लम्बे भाषण थे होता था अपने पन का एहसास लगता था हम कितने संरक्षण में थे पता नही कैसे बदल गया सब कुछ जब अपने ही अपनो का करने लगे बक्ष्छन पता नही अब कोन अपना , अपने लिए क्या योजना बना रहा है अपना नुकसान कर के गैरों के बीच खिलखिला रहा है कुछ लोग कहते हैं विभीषण अच्छा था जिसने सच का साथ दिया लेकिन अपनो को मरवाने का पाप लिया सायद तभी हम डरते हैं विभीषण संज्ञा से जब अपनो की आत्मा कोसती हैं अपनो को उसके कुठाराघात के लिए तब डह जाता है उसका संसार , चाहे वो कितने बचाव किए ©Er.Mahesh #cheatinng sinn