बांध आई मैं मन्नत के धागे एक दिन तेरा दीदार होगा, कह तो हम सके नही देखना आँखों से ही इज़हार होगा, निकल एक दिन क़फ़स से ये मोहब्बत भी परवान चढ़ेगी, देखना फिर तुम्हें भी माही हमसे अहले दिल प्यार होगा, अफसुर्दगी की तड़प भी बेज़ार औऱ खारजार सी होती है, मिट जायेंगे सारे गिले शिकवे माही जब वस्ल ए यार होगा, ये खामोशी सब बयाँ करती है यूँ ख़ामोश न रहा कीजिये, हाथ तो थामो इक बार खामोशी को भी प्यार बेशुमार होगा, यूँ बातों से ही हम तेरी राह तकते चाँद को निहारते रहते हैं, इन तारों का भी एक ही सवाल है कब खत्म इंतजार होगा? ♥️ Challenge-769 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।