आज एक आवाज सुनी है.... आज एक आवाज सुनी है.... उम्मीद और आस सुनी है.... किलकारी की गूंज के साथ किसी की चीखने की आवाज सुनी है.... दर्द में वो तभी भी थी ....दर्द वो अब भी है.... क्यों की तब उससे सहना आता था.... पर अब उसे कहना भी आता है..... ना अब सीता किसी अग्नि परीक्षा से गुजरेगी, ना अब द्रौपदी की इजत भरी सभा में उछलेगी.... क्यों की सीता अब समझ रही है समझने वालों को समझा रही है.... द्रौपदी अब कृष्ण को आवाज नही लगा रही है वो अब खुद की सक्षमता पहचान भी चाह रही है... वो जबरदस्ती करने वालों को जबरदस्त जवाब देना सीखती जा रही है.... हिम्मत है तो रोक के देखो वो औरत जो पहले चार दीवारों में बंद थी ना.... वो अब खुले आसमानों के नीचे अकेले चलना जान रही है.... अपने मन का कहना भी मान रही है.... साथ दोगे तो पहले हाथ बढ़ाएगी, रोकोगे तो तुम्हें पीछे छोड़कर आगे निकल वो जायेगी.... कोई motivation नही मिल रहा था कुछ लिखने का आज और फिर (दैनिक भास्कर) न्यूजपेपर में ये article मिला....और बस कलम कुछ यूं चल गई.... #mywritingmywords #mywritingmythoughts #yqdidi #yqbaba #yqhindi #yqhindiwriters #bhumipednekar #mywritingmymood