कभी January सी कनकनाहट तो कभी कोहरे के बाद मिलती सर्दियों की धूप सी मंजर कभी वस्ल का तो कभी एहसास के बदलते रुप सी कभी फाल्गुन की बौराईं तो कभी बसन्त सी बहार जेठ बैशाख से कभी swings होते mood तो कभी नोंक झोंक का स्वाद ऐसे ही हो जाते हैं ये दो अनजान लोग एक इससे बढ़कर कोई रिश्ता नहीं निभता चाहे रिश्ते रहे अनेक एक अजनबी हो जाता है इतना अपना सिन्दूर सपना और सजना ©Vinita Bhadani #pati patni k rishte