"अगर नहीं होंगे वृक्ष" अगर नहीं होंगे वृक्ष, सूख जाएंगी नदियां और ताल, हर तरफ होगा सूखा । पेड़ बन जाएंगे कंकाल, हरीतिमा तुम कहां पाओगे, पक्षियों की अठखेलियां -कलरव कहां सुन पाओगे , बहती नदियों को तुम कहां देख पाओगे । हर तरफ होगा हाहाकार, उदाहरण बन कर ये रह जाएंगी । बताओ फिर तुम जीवन को कैसे गति दे पाओगे , सुखद जीवन की कल्पना में ही डूबे रह जाओगे । पर्यावरण को हमें अब सहेजना होगा, पेड़-पौधों, जलाशयों को हमें बचाना होगा । बातों -विचारों से बाहर आकर प्रण हमें अब लेना होगा व्यर्थ जल ना बहाएंगे पेड़ -पौधे खूब लगाएंगे तभी जीवन में खुशहाली सच्ची पाएंगे ।। भावी पीढ़ियों को प्रदूषण मुक्त पर्यावरण दे पाएंगे उदाहरण बन इतिहास में पहचाने जाएंगे ।। आओ हम सब मिलकर प्रण करें प्रकृति का दोहन अब नहीं होने देंगे तभी मानव जीवन की सार्थकता सिद्ध कर पाएंगे तभी मानव जीवन की सार्थकता सिद्ध कर पाएंगे ।। ✍️ डॉ. सम्पत (स्वरचित) #जल सरंक्षण#पौधारोपण#