दिल-ए-अजीज को खोने का दर्द तुम न समझ पाओगे। रात भर मेखाने में फिर अगली सह़र सब भूल जाओगे। हमने तो रोज़ा भी दीदारे-ए-महबूब कर के तोडा हे। जो इश्क़ कर लोगे हम जैसा तो खुदा से मिल जाओगे। ....कृष्णा शर्मा ISHQ #sapnepoetry #spreadlove