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हर साल कि भाती इस साल भी दिवाली आई और मैं फिर खुद

हर साल कि भाती इस साल भी दिवाली आई
और मैं फिर खुद के भीतर अंधकार भरे
 बाहर कि जगमगाती दुनिया बस निहारती रह गई
ज़िंदगी के बेरंग उदासीन पन्नों को बिखरा छोड़
मैं इस साल भी ख़ुद कि टूटी हिम्मत संवारती रह गई
टूटे सपनों कि झंकार को अंदर दफ़ना कर
मैं इस वर्ष भी पटाखों कि शोर में कहीं छुपी रही
जहां पुरी दुनिया उमँग में शराबोर थी
मैं ख़ुद के अंदर सिमटे हुए बस चुप ही रही
सालों कि मेहनत का जब हिसाब लगाया
तो लगा फ़रियादों कि चिट्ठियों 
का जवाब इस बार भी न आया
और निराश होकर मैंने फिर इस दिवाली
एक दिया उम्मीदों के नाम जलाया!

©Naina एक दिवाली ऐसी भी 
#sad_shayari
हर साल कि भाती इस साल भी दिवाली आई
और मैं फिर खुद के भीतर अंधकार भरे
 बाहर कि जगमगाती दुनिया बस निहारती रह गई
ज़िंदगी के बेरंग उदासीन पन्नों को बिखरा छोड़
मैं इस साल भी ख़ुद कि टूटी हिम्मत संवारती रह गई
टूटे सपनों कि झंकार को अंदर दफ़ना कर
मैं इस वर्ष भी पटाखों कि शोर में कहीं छुपी रही
जहां पुरी दुनिया उमँग में शराबोर थी
मैं ख़ुद के अंदर सिमटे हुए बस चुप ही रही
सालों कि मेहनत का जब हिसाब लगाया
तो लगा फ़रियादों कि चिट्ठियों 
का जवाब इस बार भी न आया
और निराश होकर मैंने फिर इस दिवाली
एक दिया उम्मीदों के नाम जलाया!

©Naina एक दिवाली ऐसी भी 
#sad_shayari
nainakumarisingh3212

Naina

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