ऐ रब! अब और तुझसे कुछ नही मांगती हूँ मैं मौत का बस वो दिन चाहती हूं मैं 💘 थक चुकी हूँ इस जिंदगी से अब बस आराम करना चाहती हूँ 💘 नहीं चाहती हूं ऐसी जिंदगी, जिसमे खुशी हवा के झोंके की तरह एक पल में गुजर जाए 💘 नहीं चाहती ऐसी जिंदगी जिसमे गम एक मौसम बन के आये और कभी न जाये 💘 नहीं चाहती ऐसी जिंदगी जिसमे अपने, अपने नहीं, साथ ही कोई खुशी शामिल होने का आसरा भी नही 💘 थक चुकी हूं तेज़ रफ्तार जिंदगी से, चुभन सह चुकी अपनों के दिये बेरुखी से 💘 अब बस आराम करना चाहती हूँ मौत का बस वो दिन चाहती हूं मैं ऐ रब! अब और तुझसे कुछ नही मांगती हूँ मैं मौत का बस वो दिन चाहती हूं मैं 💘 थक चुकी हूँ इस जिंदगी से अब बस आराम करना चाहती हूँ 💘 नहीं चाहती हूं ऐसी जिंदगी,