प्रकृति भी गुन गुना उठती थी उसकी हंसी की गूँज से.. अब कोई उसे पुकारे भी तो आवाज़ उस तक नहीं जाती! ... अबोध_मन//“फरीदा” . ©अवरुद्ध मन प्रकृति भी गुन गुना उठती थी..उसकी हंसी की गूँज से.. अब कोई उसे पुकारे भी तो.. आवाज़ उस तक नहीं जाती! ©फ़क़त_फरीदा #अबोध_मन #अबोध_poetry #she_fireflies_moon_herlove #प्रेम_बावरी #प्रेम_अर्पण