चलो छोड़ते हैं उन गलियों को जहां सुकून नहीं है बना लेते हैं दूरियां उनसे जिनमे रूह नहीं है कब तक सहते हम उनके जुल्मों को कब तक लड़ते हम अपने हक को इन गलियों में हम रहम ढूंढते रह गए हर पहर हम घुटन महसूस करते रह गए सुबह से लेकर शाम तक हम इन गलियों को सोचते रह गए बहुत हुआ अब हमने इरादा कर लिया इन गलियों को छोड़ना ही सही समझ लिया ...... ©NISHA DHURVEY #Yaari #galiyan