है फ़ितूर-ए-इश्क़ा, फ़ितूर-ए-इश्क़ा ठान लिया जो, कर जाएँगे, कर जाएँगे इश्क़ में हम जी जाएँगे, मर जाएँगे क्या जिया वो नाम नहीं बदनाम जिसका? है फ़ितूर-ए-इश्क़ा, फ़ितूर-ए-इश्क़ा फ़ितरत में है आज़ादी और बेबाकी हमने भला ज़माने की कब परवा की? हम मस्तानों पर ज़ोर चला किसका? है फ़ितूर-ए-इश्क़ा, फ़ितूर-ए-इश्क़ा ©Yamit Punetha [Zaif] Fitoor-e-ishqa #OneSeason #zaif