हम होते कौन है ..? जो उनकी सोच को झुठलाए , पूरी बात सुने बिना , फ़ैसला सुना जाए । अरे जिंदगी भर , साथ रहेकर जो उन्हें समझ ना पाए , आज खुदको उनका बाप , भाई , पति , बेटा केसे हम बुलाते है ? क्या रिश्ता बनाकर , हम उस रिश्ते से इंसाफ कर पाते है ? क्या हम इतने कमजोर है , की अपनी बात मनवाने के लिए उनपर दवाब बनाते है ? बचपन हो या बुढ़ापा , उन्हें ही क्यों अनसुना कर जाते है ? क्या उनकी अन - सुनी बात से , हमारा सच इतना कमजोर है ... की उनके बोलने से पहले , ही हम घबरा जाते है ? क्या हासिल किया है हमने , जो इतना इतराते है ? पर याद क्यों नहीं रखते हम ....! की जो हासिल किया भी है , उसमें उनका भी साथ था ,जिनके बिना हम पैदा भी ना हो पाते ..! माना ... गलत तो सब हो सकते है , पर कभी गलत , हम क्यों नहीं कहलाते ..? ©Sachin Dwivedi🌛 हम होते कौन है ?