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ये चार कदम की दूरी मीलों जितनी क्यों हो गयी मैं एक

ये चार कदम की दूरी मीलों जितनी क्यों हो गयी
मैं एक सफऱ तय करके आया हूँ फ़िर ये दूरी क्यों हो गयी

तेरी अफ़सुर्दगी-ए-इल्लत का इलाज़ है मेरे पास तू यूँ इज़्तिराब न हो
मैं शम्स ढलने से पहले पहुँच जाऊँगा यूँ बेचैन न हो

कश्ती मेरी समुंदर से खौफ़ खाती नहीं ये क़ासिद-ए-सफ़ीना है
तू बस चार कदम और आगे बढ़ तेरा तबीब तेरे इंतज़ार में एक मुद्दत से खड़ा है अफ़सुर्दगी- उदासी
इल्लत- बीमारी
इज़्तिराब- व्याकुलता
शम्स- सूरज
क़ासिद-ए-सफ़ीना- boat of God's messenger
तबीब- इलाज़ करने वाला
Challenge-132 #collabwithकोराकाग़ज़
ये चार कदम की दूरी मीलों जितनी क्यों हो गयी
मैं एक सफऱ तय करके आया हूँ फ़िर ये दूरी क्यों हो गयी

तेरी अफ़सुर्दगी-ए-इल्लत का इलाज़ है मेरे पास तू यूँ इज़्तिराब न हो
मैं शम्स ढलने से पहले पहुँच जाऊँगा यूँ बेचैन न हो

कश्ती मेरी समुंदर से खौफ़ खाती नहीं ये क़ासिद-ए-सफ़ीना है
तू बस चार कदम और आगे बढ़ तेरा तबीब तेरे इंतज़ार में एक मुद्दत से खड़ा है अफ़सुर्दगी- उदासी
इल्लत- बीमारी
इज़्तिराब- व्याकुलता
शम्स- सूरज
क़ासिद-ए-सफ़ीना- boat of God's messenger
तबीब- इलाज़ करने वाला
Challenge-132 #collabwithकोराकाग़ज़