शीर्षक - ब्रम्हाण्ड सुन्दरी मृत्यु। मृत्यु तो एक दिन आनी है, मृत्यु से इतनी दूरी क्यूँ। जीवन के पिछे भागे हम, है जीवन ये मजबूरी क्यूँ। मृत्यु हंसकर गले लगातीं, जीवन हाथ छुड़ाता है। फिर भी बना हुआ है जीवन, सबकें लिए जरूरी क्यूँ। जीवन के पिछे भागते हम, मृत्यु के आगे आते हैं। फिर भी न जानें क्यूँ मृत्यु से, इतना हम घबराते हैं। मृत्यु ही सत्य है जीवन का, है जीवन एक असत्य बड़ा। यह जानते हैं हम सब फिर भी, मन को अपने बहलाते हैं। यह जीवन एक धारावाहिक है, ईश्वर इसका निर्माता है। हम सब वैसे ही नाचते हैं, जैसा वो हमें नचाता है। हम सब तो एक अभिनेता है, है हम सबका निर्देशक वो। हैं जितने भी किरदार यहां, वह सबका भाग्यविधाता है। किरदार दिया जैसा हमको, वैसा किरदार निभाना है। उस निर्माता निर्देशक के, चरणों शीश नवाना है। किरदार छोड़कर जायेंगे, जब निर्माता वो चाहेगा। ब्रम्हाण्ड सुन्दरी मृत्यु को, हमें एक दिन गले लगाना है। अजय कुमार द्विवेदी #अजयकुमारव्दिवेदी शीर्षक - ब्रम्हाण्ड सुन्दरी मृत्यु।