✏✏क्या लिखू आज लिखते-लिखते कलम भी मेरी रो पङी, मर्यादा भारत देश की आज नग्न अवस्था मे है खङी चित्कार रही छोटी कलियाॅ अब उन्हे बचाये कौन बेटी बचाओ का नारा भला अब क्यूं हो गया हे मौन- समझे तो समझे कौन समझे तो समझे कौन।।कवि-bhupendra kumar rangeela..... ✏✏✏कलम के आॅसू-,,जब तक मासूमो पर अत्याचार होते रहेंगे,तब तक मेरे शब्द भी रोते रहेंगे।।कवि-bhupendra kumar रंगीला