न जाने क्या था उन आंखों में समझ नही पाई अभी इंसानो की भाषा समझ रही थी वो हैवानियत की भाषा पढ़ नही पाई कहना चाहती तो थी मगर कुछ कह नही पाई नासमझी के आंसुओं से आंखें भरी थी समझ ही नही आया क्या हो रहा था मेरे साथ ये बाबा की मुस्कान और प्यार भरी थपकी तो नही थी कुछ दर्द भरा,मगर दर्द भी किसी को कैसे समझाती, समझाने के लिए लफ्ज़ भी तो नही थे, न काबिलियत ख़ुद जो समझ नही पा रही थी वो माँ को कैसे बताती, अभी तो ये दुनिया को समझने की कोशिश में लगी थी वो हैवानियत कैसे समझ पाती, ...सुमन क्या मुझे दर्द नही होता, क्या मैं कोई खिलौना थी, क्यों मुझे खिलने से पहले ही तोड़ दिया ...कौन बचाएगा मुझे, कब बदलेगा ये समाज, क्यों उन इंसांसोन के वेश में छिपे हैवानो को फांसी नही दी जाती जो इंसान को इंसान नही समझ पाते , #pain #girlchild #righttolive #rape