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उम्मीदों के दामन छूटे हुए थे, जो कभी साथ चले थे आज

उम्मीदों के दामन छूटे हुए थे,
जो कभी साथ चले थे आज वो पीछे छूटे हुए थे,
कभी जो अपने हुआ करते थे आज वो रूठे हुए थे,
जाने क्या वजह थी लाखों दिल आज टूटे हुए थे,
कुछ अपनों के कारण आज हम तन्हा बेठे हुए थे,
नही पता था जिन्दगी का, जो सफर मीलों दूर छूटे हुए थे,
बेखबर थे हम जो इस कदर अपनों कारण टूटे हुए थे,
समझ नही पाए हम जो इस तरह अपनों को खींचे हुए थे,
एक तरफ दोस्त थे दूसरी तरफ मेरे अपने थे,
दोंनों के बीच असमंजस मे हम उलझे हुए थे,
कोई नही समझा नही इस दर्द को जिसको हम पीए जा रहे थे,
अपनों की इस लडाई में हम पिसे जा रहे थे,
जिन्दगी में हर पल को बेपरवाह जीए जा रहे थे।

©Raj rajpoot
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