चाहत ही तो शीशे के हथियारों से पत्थर तोड़ती है मासूम सी ख्वाहिश फिसलन भरी राहें नहीं छोडती है मालूम है बाकायदा चलते रहेंगे ताउम्र इसी घटा जोड़ में इश्क में मिला कोई पहले नहीं ना गया कोई छोड़ के चाहत सदा अधूरी दास्तां रही सारी अधूरे ही रहे किस्से खुशी कभी आई नहीं हाथ किसी के हाथ लगे सिर्फ तजुर्बे बबली गुर्जर ©Babli Gurjar पत्थर भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन