किसी के जज़्बातों को वही समझ पाया है, जिसने खुद ऐसा वक्त बिताया है|| दुसरे के दर्द को सहा है उसी ने , जिसे किसी की पलकों पे ठहरा हुआ आंसू नज़र आया है || गर आपका मन परेशान सा है , सोचो ये वक्त भी मेहमान सा है || रोज़ बा रोज़ ये भी गुज़र जाएगा , जो बिखरा हुआ है सब कुछ संवर जाएगा|| ज़िंदगी तो गुज़र जानी है सफर करते करते , अपनी सारी खुशियां अपनों की नज़र करते करते|| इस बात में भी एक अजीब सी ख़ुशी है , गर अपने हैं तभी अपनी भी ज़िंदगी है || ज़िंदगी के खेल भी अजब निराले होते हैं , कहीं अँधेरे तो कहीं उजाले होते हैं || नया सवेरा मिलता है इन अंधेरों से निकल के, सोना कुंदन बनता है आग में ही जल के || मौत तो आखिरी पड़ाव है ज़िंदगी के सफर का, तो आओ मज़ा लें इस सफर की हर डगर का|| "विवेक" #जज़बात