बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के विरुद्ध खड़ा होना बहुत अच्छा है, लेकिन तब जब हम समझें कि बलात्कार इच्छा के विरुद्घ केवल शारीरिक सम्बन्ध नहीं है, ये मानवसुलभ चेतना का विरोध है जो यौन स्वेच्छाचारिता को रोकती है। मानव बनने के लिए पशुता और पशुता-जन्य विकृतियों का दमित होना अपरिहार्य है। मैं पोर्न साइटों के विरोध के लिए आपका समर्थन चाहता हूँ कि देह व्यापार के जाल में फंसी ये स्त्रियां और यौन शोषण के शिकार ये लड़के जब बाहर आते हैं तो खुद को इसी बलात्कार और शोषण का शिकार मानते हैं। क्या हम इनके लिए न्याय नहीं चाहते? क्यों न यौनेक्षा का नियमन करें? क्या मेरी कहानियों की पूजा वापस आ पायेगी, क्या मेरी कहानियों की ज्योति अपनी मौत को एक भला नाम दे पायेगी? आइये इस पागलपन के विरोध में खड़े हों! Against porn