ख़ुल्द की खिड़कियां हैं ख़ुर्शीद ताकती ख़्वाब हैं ख़लिश बेहद अपने आप में पालती.. तू नज़ाकत से यूँ देखा ना कर खैर, खुमार से ख़स्ता नब्ज़ मेरी, तू क़लम से अपनी मुझे यूँ ख़ामोश ना कर.. Dedicating a #testimonial to Ashish Singh Rathore बेनज़ीर !! बेनज़ीर !! बेनज़ीर !! कातिब आप आपकी खिदमत में क्या लिखूँ, जो भी लिखूँ हर्फ़, ज़ज़्बात सब सारे ख़्वाहिश लिखूँ !!💚 Such an amazing writer you are