रात को रो रो सुबह न कर,सुबह को सुबक सुबक शाम न कर। वक़्त बेवक़्त न याद कर उसे,वो गया वक़्त नहीं जो फ़िर न आएगा। शबाब उस पर है तो शबाब तुझ पर भी है,बुत वो है तो बुत तू भी है। वो क्या है जो हर पल गुज़र रहा है,वो तब कहाँ था जो अब यहाँ है। ये कब से कब तक का सफ़र है,जो ठहरते ठहरते गुज़र जाता है। ये ज़ख्म का दर्द है या कुछ और,जो रिसते रिसते बढ़ जाता है। बहते पत्ते दिखते नहीं हैं,पानी पर तैरते तैरते कहीं खो जाते हैं। अभी यहाँ थे अभी कहाँ हैं,कल न जाने कहाँ होंगे। चलती गाड़ी से वो पेड़ चलता दिखा,पर वो तो वक़्त की तरह खड़ा था, कल भी आज भी और कल भी। ये क्या मंज़र है ये क्या पल है,किसे पता है किसे खबर है। #NojotoQuote