काम की तारीफ़ करके गया है वो। जो कभी ऐंठ से मुह बचाके जाता था। जाने कहाँ से आती है इतनी शराफ़त! जब भी नज़दीक कोई चुनाव आता है। कटी ठूंठ पर बैठा पंछी' सोच रहा था। कौआ कैसे कोयल सा बोल जाता है? हरे-भरे जंगल में आग लगाने वाला ! आँसू बहाके दावानल बुझा जाता है। कौन किसका चोला कब ओढ़आएगा? आजकल किसी की समझ न आता है। ♥️ Challenge-560 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।