कमियां तो सब में होती है, स्वंय दिखती नहीं, दूसरों के दोष तो ढूंढ लेते,अपने अवगुण दिखते नहीं।, कामना मन की दुनियां, हमारा गुण बखान करे, पर आलोचना अपनी ना हम स्वीकार करें, चाह मन में हर किसी से हम स्वार्थ सिद्ध करें, पर जीवन में हम क्यूं दूसरे का तिरस्कार करें । विधाता ने जो बख्शा उपहार हमें, वह हमारी अपनी भाग्य रेखा, अनेकों दोष भले ही हम में, दी है ,कुछ खूबियां विधाता ने हमें, हर कसौटी पर हर कोई खरा उतरे, ये कुछ अपवाद हमारे हैं,। गुण दोष सब में हैं,इस जहां में, तुम हम में क्या खोजो ये अधिकार तुम्हारा है,। मानव तो कृति विधाता की, क्यों हम उन में अंतर खोजें अपने उत्तम गुण के आगे , क्यों दूसरे को तुच्छ समझें,। ,दीप, #feather Anshula Thakur