करोड़ों देशवासियों का सपना क्या कभी बन पाएगा अपना! वह सपना जो हकीकत की मंजिल तक पहुंचने से पहले ही चूर हुआ। टूटे ख्वाबों को लेकर हर देशवासी अपने मन को समझाने को मजबूर हुआ। 19 नवंबर का वह दिन जब विश्व कप भारत के हाथों फिसल गया। जाने कितनी बार ट्रॉफी पर कंगारूओं का जादू चल गया। वक्त का पहिया घूमा और उस जख्म से देश उबर गया। नई उम्मीद नई तैयारी नया सपना आंखों में भर गया। 29 जून वह शुभ दिन आया। जब देश ने अपना सपना अपने हाथों में उठाया।। धूम धाम से जश्न मनाओ मैं जानता हूं कि तुम्हें कितना प्यारा हूं। हां मैं विश्व कप हूं और मैं अब तुम्हारा हूं।। ©Anita Agarwal World cup