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एक सुहानी सी शाम थी, हवा का प्यारा सा झोका ; और थ

एक सुहानी सी शाम थी, 
हवा का प्यारा सा झोका ; और
थोड़ी नमी, थोड़ी सनसनाहट थी।
लबों से बुदबुदाते हुए
सहसा एक मुस्कान बटोरे ,
वह चलता बना ।।
अपनी काल्पनिक दुनिया में ।😌❤️

©Shivani Sharma
  Imaginary world 😌🤍

Imaginary world 😌🤍 #Poetry

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