बे-मौसम बारिश अन्न तुम्हारे भोजन की, थाली तक कैसे आता है। इसके पीछे किसका, कितना, कहाँ - कहाँ, क्या नाता है। बे -मौसम बारिश से तुम जो, झूम रहे इतराते हो। तुमको क्या मालूम इसमें, किसका क्या-क्या बह जाता है। उनसे पूछो दिनों - रात जो, खेतों में तपते हैं खूब। ऐसी बे-मौसम बारिश में, जिनका सब कुछ जाता डूब। तुमको क्या तुम तो बस अपने, घर के अंदर हो खुशहाल। उससे पूछो इससे जिसका, हाल हुआ बेहद बेहाल।। ........कौशल तिवारी ©Kaushal Kumar #बेमौसमबरसात