भागती सी ज़िंदगी में कुछ पल के लिए रुकना कभी। आगे जाते लम्हों के बीच पीछे मुड़के तकना कभी।। महसूस करना हवाओं को थोड़ा सा वक्त निकाल के, गाते हुए परिंदों के गीत तुम सुनना कभी। चलना कभी यूं हीं बस रास्तों का साथ देने को, मंजिल को सामने पाके भी थोड़ी देर रूकना कभी। तमाम उम्र गुज़री है औरों से मिलते-जुलते मिला के पलकों को कुछ पल के लिए ख़ुद से ज़रा मिलना कभी। रास्तों का साथ देने को, यूं हीं बेवजा चलना कभी। ©Pratima Tiwari #चुराया_हुआ_पल