अतरंगी दुनिया में सतरंगी सी होली है, रंग पैसों का सब पे चढ़ा ऐसे भी रंग हैं, गरीबी में कहाॅं पैसों में ही सब संग हैं। सबके हो जाने में प्यारी नारी भी रंगी है, शर्म, अनुशासन और सुहाग का भी रंग है, वो दहलीज़ न लाॅंघे तब तक सब संग हैं। घर ने भी तो कई रंगों में होली खेली है, सुख-दुःख के साथी में भी तो कई रंग हैं, धूप बरसात से बचाता बरसो से संग है। प्रकृति ने भी बरसों से कई रंग बिछाए हैं, सावन हरा,पतझड़ पीला,धनुष सात रंग हैं, बसंत बहार रंगमई कई भावनाओं संग हैं। (कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें) अतरंगी दुनिया में सतरंगी सी होली है, रंग पैसों का सब पे चढ़ा ऐसे भी रंग हैं, गरीबी में कहाॅं पैसों में ही सब संग हैं। सबके हो जाने में प्यारी नारी भी रंगी है, शर्म, अनुशासन और सुहाग का भी रंग है, वो दहलीज़ न लाॅंघे तब तक सब संग हैं।