दस्तुर का दृष्टान्त इतिहास बता गयो, सीवाजी और राणो सीखा गयो, वीफ़लता पर ना कर विलाप, और कर एक दृढ़ निश्चय, दृढ़ निश्चय को साथ रख, और कर परिश्रम और मानवता का साथ, आगे बढता चल और कर मनज़ील को पार, जब मन्झील करले पार तु, फ़िर रुक वहा, देख दुनिया में रिस्ते कहा छुट गये है, फ़िर रिस्ते और कामयाबी लेकर एक साथ, मनाले थोडी खूशीया जीवन की, बाद मे होगा तु बुढा और बेबस, तब होगा तेरे जीवन का अंधकार सुरु... निशित #alone#दस्तुर#parivaar#साथ