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असत्य में भी सत्य छिपा है, कु के साथ कुकर्म, स के

असत्य में भी सत्य छिपा है,
कु के साथ कुकर्म,
स के साथ पुराने हो चुके सत्कर्म का
नया संस्करण है!
कहा उसने किताबें खोलकर,
संत को चाहिए सत, चित, आनंद!
चोर की भी वही प्रेरणा होती है।
संत उपवास कर उसे पाते हैं और
चोर, चोरी का माल बेच
दारू, गांजा, मुर्गा पेलकर
भव-सागर तर जाते हैं।
लेकिन उसने जोर देकर कहा,
उपवास अन्नपूर्णा माँ का अपमान है,
और जो खाद्य पदार्थों का जिक्र हुआ
वो भूखे के लिए जीवन वरदान हैं।
मैंने शाबासी ठोंककर उसे कहा,
अब डिग्री या धंधे के लिए 
किसी यूनिवर्सिटी या दल मत जाना,
और हाँ नागरिक सुविधा के कार्ड बनवाने
चेहरे नहीं पिछवाड़े की फोटो खिंचाना!End. वामपंथी से वार्तालाप
असत्य में भी सत्य छिपा है,
कु के साथ कुकर्म,
स के साथ पुराने हो चुके सत्कर्म का
नया संस्करण है!
कहा उसने किताबें खोलकर,
संत को चाहिए सत, चित, आनंद!
चोर की भी वही प्रेरणा होती है।
संत उपवास कर उसे पाते हैं और
चोर, चोरी का माल बेच
दारू, गांजा, मुर्गा पेलकर
भव-सागर तर जाते हैं।
लेकिन उसने जोर देकर कहा,
उपवास अन्नपूर्णा माँ का अपमान है,
और जो खाद्य पदार्थों का जिक्र हुआ
वो भूखे के लिए जीवन वरदान हैं।
मैंने शाबासी ठोंककर उसे कहा,
अब डिग्री या धंधे के लिए 
किसी यूनिवर्सिटी या दल मत जाना,
और हाँ नागरिक सुविधा के कार्ड बनवाने
चेहरे नहीं पिछवाड़े की फोटो खिंचाना!End. वामपंथी से वार्तालाप